Friday, June 25, 2010

मुझे वो बचपन लौटा दो

मुझे वो बचपन लौटा दो

जब हमारे चाचा ने ख़रीदा था खेत
तब हम बच्चो की जाती थी खेप
चढ़ते थे पेढ़ पर खाते थे अमरुद
चाचा कहते टूटेंगे तुम्हारे दांत मज़बूत
तब हम कहते हम करते हैं कोलगेट से पेस्ट
जिसके सामने आपका मंजन है वेस्ट

मुझे वो बचपन लौटा दो

जब हम जाया करते थे स्कूल
अध्यापक कहते यू फूल! यू फूल!
छोटी क्लासों में बच्चे बनते थे रोबिन हुड्ड
तो कई बच्चे बनते थे कैप्टेन कुक
एक दुसरे पर फेका करते थे चौक
अध्यापक गुस्सा करते होती यदि टॉक

मुझे वो बचपन लौटा दो

जब हमारी बाते आती थी न अध्यापक को रास
तब वो ले जाते हमें प्रिंसिपल के पास
पड़ते थे हमे बड़े बड़े डंडे
उग जाते थे सर पे मोटे मोटे अंडे
फिर भी हम हस्ते थे, गाते थे, मुस्कुराते थे
क्या पता कल हो न हो का डायलोग बडबडाते थे

मुझे वो बचपन लौटा दो