मुझे वो बचपन लौटा दो
जब हमारे चाचा ने ख़रीदा था खेत
तब हम बच्चो की जाती थी खेप
चढ़ते थे पेढ़ पर खाते थे अमरुद
चाचा कहते टूटेंगे तुम्हारे दांत मज़बूत
तब हम कहते हम करते हैं कोलगेट से पेस्ट
जिसके सामने आपका मंजन है वेस्ट
मुझे वो बचपन लौटा दो
जब हम जाया करते थे स्कूल
अध्यापक कहते यू फूल! यू फूल!
छोटी क्लासों में बच्चे बनते थे रोबिन हुड्ड
तो कई बच्चे बनते थे कैप्टेन कुक
एक दुसरे पर फेका करते थे चौक
अध्यापक गुस्सा करते होती यदि टॉक
मुझे वो बचपन लौटा दो
जब हमारी बाते आती थी न अध्यापक को रास
तब वो ले जाते हमें प्रिंसिपल के पास
पड़ते थे हमे बड़े बड़े डंडे
उग जाते थे सर पे मोटे मोटे अंडे
फिर भी हम हस्ते थे, गाते थे, मुस्कुराते थे
क्या पता कल हो न हो का डायलोग बडबडाते थे
मुझे वो बचपन लौटा दो